मानवीय करुणा की दिव्य चमक question bank 2022

 

मानवीय करुणा की  दिव्य चमक  question bank 2022



(क) फ़ादर कामिल बुल्के संकल्प से संन्यासी थे, मन से नहीं। लेखक के इस कथन के आधार पर सिद्ध कीजिए कि फ़ादर का जीवन परंपरागत संन्यासियों से किस प्रकार अलग था?


उत्तर:  फ़ादर कामिल बुल्के संकल्प से संन्यासी थे, मन से नहीं। परपरागत संन्यासी जिस तरह ईश्वर की भक्ति भजन-कीर्तन, ज्ञानोपदेश देने में लगे रहते , वे उन अर्थों में संन्यासी नहीं थे। समाज से पलायन कर जाने की उनकी प्रवृत्ति नहीं थी, बल्कि कॉलेज में अध्ययन अध्यापन प्रियजनों के घर आना-जाना. संकट के समय  धैर्य बंधाना उनके स्वभाव में था। उनके मन में प्रियजनों के प्रति मोह व अपनत्व की भावना थी।

(ख) फ़ादर की उपस्थिति लेखक को देवदार की छाया के समान क्यों लगती थी? पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए। 

उत्तर: फ़ादर की उपस्थिति देवदार की घनी छाया जैसी लगती थी। उनके मन में सबके लिए कल्याण की भावना थी और उनका व्यक्तित्व मानवीय गुणों से परिपूर्ण था। उनकी नीली आँखों में भरपूर वात्सल्य से भरा अपनापन था। जहाँ भी जाते, परम हितैषी के समान लोगों को अपने आशीर्वाद भरे वचनों से सराबोर कर देते थे।





1. लेखक ऐसा क्यों कहता है कि फ़ादर को ज़हरबाद से नहीं मरना चाहिए था?(CBSE 2012)

उत्तर    लेखक के अनुसार फ़ादर को ज़हरबाद से इसलिए नहीं मरना चाहिए था क्योंकि वह जब तक जीवित रहे, उनकी रगों में दूसरों के लिए मिठास भरे अमृत के अतिरिक्त और कुछ नहीं था। प्रभु के प्रति आस्था में हो उनका अस्तित्व था।  हर प्रियजन के लिए ममता व अपनत्व उमड़ता रहता था।

2. फ़ादर बुल्के की मृत्यु से लेखक आहत क्यों था?(NCERT, CBSE 20)


उत्तर   लेखक फ़ादर कामिल  बुल्के की यातना भरी मृत्यु से आहत था, क्योंकि लेखक फ़ादर कामिल बुल्के को दिव्यात्मा मानता था। फादर की मृत्यु के कारण लेखक के मन में yah भाव उत्पन्न होते है कि फ़ादर के मन में हर प्रिय व्यक्ति के लिए केवल प्यार और अपनत्य था। उन्होंने अपना सारा जीवन दूसरों के लिए समर्पित किया था फिर ऐसी पुण्यात्मा की मृत्यु ज़हरवाद नामक यातना भरो बीमारी के कारण ही क्यों हुई।


3. "इतनी ममता, इतना अपनत्व।" इस वाक्य द्वारा फ़ादर की कैसी आकृति उभरती है? (CBSE 2016)


उत्तर   फ़ादर के हृदय में सभी के लिए ममता और अपनत्व कूट-कूटकर भरा हुआ था। उन्हें देखकर ऐसा लगता था मानो वह हर किसी को अपने गले लगाने के लिए आतुर हैं। उनसे थोड़ी देर बात करने पर हृदय  प्रसन्न हो जाता था। उनमें अपने प्रत्येक प्रियजन के लिए प्यार उमड़ता था। उनके मन में किसी के लिए कोई विद्वेष नहीं था।


4. फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी? (NCERT, CBSE 2012, 11)


उत्तर  देवदार की छाया शीतल और मन को शांत करने वाली होती है। फ़ादर लेखक और उसके साथियों के साथ हँसी-मज़ाक में शामिल रहते, गोष्ठियों में गंभीर बहस करते तथा लेखक की रचनाओं पर अपनी स्पष्ट राय देते थे। लेखक के घरेलू उत्सवों और संस्कारों में वे  भाई और पुरोहित की तरह खड़े होकर आशीष दिया करते थे। इसी कारण लेखक को फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी लगती थी।


5. फ़ादर बुल्के की जन्मभूमि कहाँ थी और उनके अपनी जन्मभूमि के प्रति क्या भाव थे?(CBSE 2014)

अथवा फ़ादर कामिल बुल्के का अपनी जन्मभूमि के प्रति लगाव के बारे में क्या कहना है?(CBSE 2015)


उत्तर     फ़ादर कामिल बुल्के की जन्मभूमि बेल्जियम में थी। उनकी जन्मभूमि का नाम रेम्सचैपल था। अपनी जन्मभूमि के प्रति उनके मन में बहुत आदर और सम्मान था। वे अकसर अपनी जन्मभूमि को याद किया करते थे। जब उनसे पूछा जाता कि आपकी जन्मभूमि कैसी है तो उनका जवाब होता था

"बहुत सुंदर  है मेरी जन्मभूमि - रेम्सचैपल | "

6. फ़ादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नई छवि प्रस्तुत की है, कैसे?

(NCERT, CBSE 2015,12)

उत्तर    प्राय: संन्यासी सांसारिक मोह-माया से दूर रहते हैं, जबकि फ़ादर ने ठीक उसके विपरीत छवि प्रस्तुत की है। परंपरागत संन्यासियों की परिपाटी का निर्वाहन न कर, वे सबके सुख-दुःख में शामिल होते थे। एक बार जिससे रिश्ता बना लेते; उसे कभी नहीं तोड़ते। सबके प्रति अपनत्व, प्रेम और गहरा लगाव रखते थे। लोगों के घर आना-जाना उनका नित्य प्रति का काम था। इस आधार पर कहा जा सकता है कि फ़ादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग छवि प्रस्तुत की है।

7. लेखक ने फ़ादर कामिल बुल्के की याद को 'यज्ञ की पवित्र अग्नि' क्यों कहा है?

(CBSE 2019)

उत्तर     लेखक ने फ़ादर कामिल बुल्के की याद को 'यज्ञ की पवित्र अग्नि' इसलिए कहा है, क्योंकि फ़ादर देवदार के वृक्ष की भांति शीतल व मन को शांत करने वाले थे। वे लेखक और उसके साथियों के साथ हँसी-मजाक करते रहते थे। साहित्यिक गोष्ठियों में गंभीर बहस करते थे और अपने अपने निकट के व्यक्ति की रचनाओं पर स्पष्ट टिप्पणियाँ किया करते थे। उन सभी के मन में उनकी स्मृति यश की पवित्र अग्नि के समान बनी रहेगी अर्थात् जिस प्रकार यज्ञ की पवित्र अग्नि समस्त संसार को आलोकित पवित्र कर देती है, उसी प्रकार फ़ादर कामिल बुल्के के विचार आदि से भी उनके सहयोगी पवित्र विचारों से सदैव प्रभावित रहेंगे।

8. लेखक ने फ़ादर के प्रभाव को दर्शाने के लिए किन-किन उपमानों का प्रयोग किया है?

(CBSE 2012)


उत्तर     लेखक ने फ़ादर के प्रभाव को दर्शाने के लिए निर्मल जल में स्नान करने जैसा, उदास शांत संगीत सुनने जैसा देवदारु की छाया. बालको सो सरलता, सबसे अधिक छायादार फल-फूल गंध से भरा वृक्ष, पवित्र ज्योति इत्यादि उपमानों का प्रयोग किया है।

9. लेखक ने फ़ादर बुल्के को 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' क्यों कहा है? (NCERT, CBSE 2019, 12,11)

अथवा 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' यह विशेषण फ़ादर की किन विशेषताओं का व्यंजक हैं?(CBSE 2018)

उत्तर   लेखक ने फ़ादर बुल्के को 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' इसलिए कहा है, क्योंकि फ़ादर बुल्के ने अपना जीवन सदैव दूसरों की भलाई में लगाया। उनके मन में दूसरों के लिए हमेशा प्यार तथा ममता छलकती रहती थी, जो हर किसी में केवल अपने प्रियजन के लिए होती है। वे सबके साथ एक पारिवारिक रिश्ते में बंध जाते थे। वे क्रोध या आवेश में नहीं आते थे। वे लोगों के सुख-दुःख में शामिल होकर उनके प्रति सहानुभूति प्रकट करते थे तथा उन्हें सांत्वना भी देते थे।

10. आपके विचार से बुल्के ने भारत आने का मन क्यों बनाया होगा?

(NCERT, CBSE 2016, 12) 

उत्तर    बुल्के जब इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष में थे, तब अचानक ही संन्यासी बनने एवं भारत आने का निर्णय कर लिया था। भारत आने का विचार अचानक ही बुल्के के मन में नहीं उठा होगा। शायद उनके अवचेतन मन में भारतभूमि और भारतीय संस्कृति के प्रति पहले से ही प्रेम रहा होगा, जो संन्यास लेने के समय उभरकर सामने आ गया होगा।


11. इस पाठ के आधार पर फ़ादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।

(NCERT)

उत्तर   प्रस्तुत पाठ के आधार पर फ़ादर कामिल बुल्के की निम्न छवि  उभरती है

●फ़ादर कामिल बुल्के विदेशी होते हुए भी सच्चे अर्थों में एक भारतीय वे भारत को ही अपना देश मानते थे। 

* फ़ादर में सभी के लिए ममता और वात्सल्य भाव कूट-कूटकर भरा हुआ था। वे एक बार जिससे रिश्ता जोड़ लेते थे, उसे तोड़ते नहीं थे।

 *फादर को भारतीय भाषा, संस्कृति और साहित्य से बहुत प्रेम था।फ़ादर बुल्के अपने स्नेहजनी के व्यक्तिगत सुख दुःख का हमेशा ध्यान रखते थे।

*फादर बुल्क हिंदी के प्रकाड विद्वान थे एवं हिंदी के उत्थान के लिए रहते थे।


 12.'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' पाठ में लेखक ने लिखा है- नम आँखों को गिनना स्याही फैलांना है।' लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?


 लेखक ने फ़ादर की मृत्यु पर लोगों के दुःख का वर्णन करते हुए कहा है कि उनकी मृत्यु पर दुःखी होने वाले अर्थात् आँसू बहाने वाले लोगों की कमी नहीं थी। उनकी संख्या बहुत ज्यादा थी। अतः उन नम आँखों को गिनना स्याही फैलाने के बराबर है। अर्थात् उन्हें गिनने से कोई परिणाम नहीं निकलना है, क्योंकि वे अतित है।


13. लेखक ने फ़ादर को किस बात पर झुंझलाते और दुःखी होते हुए देखा है?

अथवा फ़ादर बुल्के की सबसे बड़ी चिंता क्या और क्यों थी? (CBSE 2016, 11)

अथवा फ़ादर बुल्के को हिंदी के बारे में क्या चिंता थी?CBSE 2019)


उत्तर लललफ़ादर बुल्के की चिता हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने की थी। इस विषय में वह हर मंच पर अपनी तकलीफ़ का वर्णन किया करते थे और इसके लिए अकाट्य तर्क दिया करते थे। संभवतः यही एक ऐसा प्रश्न था, जिस पर लेखक ने उन्हें झुंझलाते और दुःखी होते हुए देखा है। उन्हें इस बात का बहुत दुःख था कि हिंदी बोलने वालों के द्वारा ही हिंदी की उपेक्षा की जा रही है।


14. फ़ादर बुल्के ने भारत में रहते हुए हिंदी के उत्थान के लिए क्या कार्य किए?CBSE 2020)

उत्तर फ़ादर बुल्के ने भारत में रहते हुए हिंदी के उत्थान के लिए निम्नलिखित कार्य किए

* फ़ादर ने वर्ष 1950 में प्रयाग विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में रहकर 'रामकथा: उत्पत्ति और विकास' नामक विषय पर शोध किया।

 *फ़ादर ने मातरलिंक के प्रसिद्ध नाटक 'ब्लू बर्ड' का हिंदी रूपांतर 'नीलपंछी' नाम से किया।

*सेंट जेवियर्स कॉलिज में हिंदी तथा संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष होकर अपना प्रसिद्ध 'अंग्रेजी-हिंदी शब्दकोश' तैयार किया।

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