माता का अँचल most expected questions term 2 exam

 माता का अँचल



(1) माता का अंचल पाठ में वर्णित बचपन और आज के बचपन में क्या अंतर है? क्या इस अंतर का प्रभाव दोनों बचपनों के जीवन पर पड़ा है? तर्क सहित स्पष्ट कीजिए।


उत्तर: 'माता का अंचल' पाठ में वर्णित बचपन और आज के बचपन में काफ़ी अंतर है। पहले बच्चे अकसर घर पर रहकर खेलते हैं। वे अपने कमरे में बैठकर वीडियो गेम या मोबाइल पर  नहीं खेलते हैं। खेल खिलौने जो पहले मिट्टी या लकड़ी के हुआ करते थे, अब प्लास्टिक के रंग-बिरंगे, महँगे हो गए हैं। उस समय बच्चो को संयुक्त परिवार के सदस्यों का प्रेम मिलता था। बड़े ,बच्चों को पूरा समय देते थे। वर्तमान में बच्चे एकल परिवारों में रहते हैं। माता-पिता दोनों कामकाजी है, अतः बच्चों को एकाकी रहना पड़ता है। परिवारिक संस्कारों का न मिलना तथा भावनात्मक समस्याओं से जूझना आज के बच्चों की मजबूरी है।


2. भोलानाथ की मइया उसको थोड़ा और खिलाने की हठ क्यों करती थी? वह उसके बाबूजी को क्या कहती थी? इससे माँ की कैसी छवि बनती है?(CBSE 2012)


उत्तर  भोलानाथ के भरपेट खाना खाने के बाद भी उसकी माँ उसको थोड़ा और खिलाने का हठ करती थी। वह उसके बाबूजी को कहती थी कि आप तो चार-चार दाने के कौर बच्चे के मुँह में देते जाते हो, इससे वह थोड़ा खाने पर भी यह समझ लेता है कि बहुत खा चुका। आप खिलाने का ढंग नहीं जानते। बच्चे को भर मुँह कौर खिलाना चाहिए। माँ के हाथ से खाने पर बच्चों का पेट भी भरता है।

माँ के ऐसे व्यवहार से उसकी ऐसी छवि बनती है कि वह अपने बच्चे के प्रति अत्यधिक ममत्व (ममता) रखती है तथा चाहती है कि वह अधिक से अधिक खाए और मानसिक एवं शारीरिक रूप से शक्तिशाली एवं ऊर्जावान बने। इससे माँ का अपनत्व एवं अत्यधिक स्नेह झलकता है।



3. भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने की सामग्री से किस प्रकार भिन्न है?

(NCERT, CBSE 2012, 11,10)

उत्तर   भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री हमारे खेल और खेलने की सामग्री से निम्नलिखित प्रकार से भिन्न है।

 भोलानाथ और उसके साथियों के खेल सामूहिक रूप से मिल जुलकर खेले जाते थे। उनके खेलने की सामग्री अधिकतर मिट्टी के खिलौने, लकड़ी, मिट्टी के घड़े के टुकड़े, धूल, पानी, पत्ते और कागज आदि होते थे, जबकि आज प्लास्टिक आदि का प्रचलन है। इसी कारण हम प्लास्टिक के आकर्षक खिलौनों से खेलते हैं, जो संगीत की धुन और बोलने की आवाज भी निकालते हैं।आजकल टेलीविजन तथा इलेक्ट्रॉनिक द्वारा मनाेरंजन  करते हैं।भोलानाथ जैसे बच्चों की खेलने की सामग्री आसानी से व सुलभता से बिना पैसे खर्च किए ही प्राप्त हो जाती है, जबकि आज के बच्चों की सामग्री बाजार से खरीदनी पड़ती है।




4.आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है? (NCERT, CBSE 2012, 11,10)

उत्तर भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना इसलिए भूल जाता है, क्योंकि


(i) बच्चों का स्वभाव होता है कि वह अपनी उम्र के बच्चों के साथ ही खेलना पसंद करता है और भोलानाथ को अपने साथियों के साथ तरह-तरह के खेल खेलने को मिलते।

(ii) यदि वह अपने साथियों के सामने रोना-सिसकना जारी रखता, तो वे उसकी हँसी उड़ाते और उसे अपने साथ लेकर खेलने के लिए नहीं जाते।

(iii) अपने मित्रों के साथ खेलने में भोलानाथ को बहुत आनंद आता था तथा अपने मित्रों के साथ वह तरह-तरह की शरारतें भी करता था।

(iv) वह अपने साथियों की मस्ती देखकर उसी में मग्न हो जाता, जिस कारण वह सिसकना भूल जाता।


4. 'माता का अँचल' शीर्षक की उपयुक्तता बताते हुए कोई अन्य शीर्षक दीजिए।(NCERT)

अथवा 'माता के अँचल पाठ के शीर्षक की सार्थकता इस पाठ की किस घटना tilde 4 निहित है?CBSE 2020)


उत्तर  इस कहानी में माँ के आँचल की सार्थकता को समझाने का प्रयास किया गया है। बालक भोलानाथ का अधिक जुडाव पिता के साथ दर्शाया गया है, परंतु जब वह साँप को देखकर डर जाता है तब वह पिता की अपेक्षा माता की गोद में छिपकर ही शांति व सुरक्षा का अनुभव करता है। माता से बच्चे का ममत्व का रिश्ता होता है।

भोलानाथ का अपने पिता से अपार स्नेह था, पर विपत्ति के समय जो शांति और प्रेम की छाया उसे अपनी माँ की गोद में जाकर मिली वह शायद उसे पिता से प्राप्त नहीं हो पाती। लेखक ने इसीलिए पिता-पुत्र के प्रेम को दर्शाते हुए भी इस कहानी का शीर्षक माता का अँचल रखा है, जो कि पूर्णतः उपयुक्त है।


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